महासंग्राम की बेला पर
मृत्यु का नया संकेत है
नयी चेतना को जगाता है
नए-नए कर्तव्यों को निभाता है
यह कैसा जीवन चक्र है
समझ से परे है-
कैसे-कैसे रास्ते दिखता है
नयी-नयी चुनौती दिलाता है
मनोभावों को दबाकर
जिंदगी जीना सिखाता है
यह कैसा जीवन चक्र है
समझ से परे है –
अपनी क्षमता को दर्शाता है
हर सांस में जीवन है
हर पल यह सीखाता है
अपनी प्रतिष्ठा को दांव पर
लगाता यह हर पल सिखाता है
यह कैसा जीवन चक्र है
समझ से परे है-
डॉo संचयिता देव
