विकलांगों के जीवन में किया बदलाव
सतना। हंसा बालकृष्ण मेहता ने अपने जीवन के 96वें वर्ष की उम्र में जिस तरह जज्वा दिखा रहीं हैं कहीं न कहीं उनके इस त्याग, भाव व व्यक्तित्व को सलाम है। इतना ही नहीं हंसा बालकृष्ण मेहता की आदर्श जीवन से कहीं न कहीं प्रेरणा लेने की जरूरत है। हंसा बालकृष्ण मेहता अपने आप में बहुत ही खास व्यक्तित्व रखने वाली तथा पूरा जीवन समर्पित करने वाली ऐसी देश की महिला है जिन पर हमें गर्व है, जिन्होंने अपने जीवन के 62 साल जरूरतमंद लोगों के लिए समर्पित किया, उन्होंने लाखों बच्चों की मां बनकर निभाया….. और आज भी वो 96 वर्ष में रुकी नहीं है, जिनके पैर नहीं थे उनको पैरों पर खड़ा किया जो देख नहीं पाते काबिल अधिकारी बनाया और अपने जीवन का उद्देश्य बनाया कि यह जीवन जब तक रहेगा वह हमेशा ऐसे लोगों की सेवा करेगी,, उनको एक दिशा देगी इसके साथ,उन्होंने समाज मे अपनी अमूल्य छबि बनाई है, वो समाज का बहुत बड़ा उदाहरण है, उम्र के हर””वर्ग के लिए, उनको बहुत सारे सम्माननीय अवार्ड मिले हैं, और वह लगातार अपने उद्देश्य पर अपनी इस सेवा में 96 की उम्र में सेवा कर रही है,, हमको उनसे सीखना है की जीवन हमेशा दूसरों के काम आ सकता है और इसी बात को देखते हुए उन्होंने एक और पहल करी है, उन्होंने हमारे देश के शहीदों के परिवार को सम्मान निधि देकर अपना कर्तव्य निभाया है,उनका सोचना है कि हमारे देश के नौजवान जिन्होंने देश का गौरव बनाया उनके लिए हमारा,कर्त्तव्य है, और हमको शहीदों के परिवार को सम्मानित करना चाहिए।