Category: साहित्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में डॉ हेडगेवार का स्मरण

–प्रोफेसर शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, कुलपति, जेएनयू दुर्भाग्य से ऐतिहासिक तोड़ मरोड़ के चलते डॉ हेडगेवार जैसे क्रांतिकारियों की इतिहासकारों द्वारा उपेक्षा के कारण इतिहास में अवांछित कथानकों को स्थान मिल…

ज़िंदगीनामा…….!

खुद को ही समझ न पाया हूँअब तलक…ज़माने में प्यारे…पर…देखो तो सही…आजकल….हर किसी को परखने लगा हूँ…. डर समाया है जमाने से इतना,कि….किसी अनहोनी के डर से…!अपनों पर अक्सर बिफरने…

वामपंथियों की ऐतिहासिक साजिश ने क्रूर औरंगजेब को बनाया उदार

– प्रो. शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित, कुलपति, जेएनयू हाल ही में प्रदर्शित फिल्म “छावा” की अपार सफलता एक महत्वपूर्ण बिंदु साबित हुई है। इसने युवाओं में पाठयपुस्तकों ऐतिहासिकता पर आंख बंद…

कितना दूँ मैं विस्तार…..!

कदम-कदम पर ताने मिलते,होता आया हरपल दुत्कार….गाँव-देश को क्या मैं कहताजब समझ ना पाया….!मुझको मेरा ही परिवार….गलत-सही का भेद मैं परखा,करना चाहा था…इसका परिहार…इस कारण ही प्यारे मित्रों….!अनायास ही….सिस्टम से…होना…

मां के बिना मानव जीवन का अस्तित्व संभव नहीं

–गौरव दुबे, जौनपुर माँ कोई साधारण शब्द नही है बल्कि मां समर्पण का प्रतीक हैं ,मां दया करुणा से विभूषित होती है , मां जीवन का आधार होती है ,…

अनायास का दोषारोपण…..!

करके गहन गवेषणा….!की गई थी….तीर्थराज में….अद्भुत-अतुल्य महाकुम्भ की घोषणापुण्य लाभ पाने को….यहाँ….!उत्साहित जनता एक दूजे को,जाती थी रगड़-रगड़….धर्म भावना और मान्यता,बाँधे थी सबको जकड़-जकड़….हर किसी ने लगाया था…..!संगम जाने का…

एक अनार…….!

बचपन से ही हमने सीखा,“अ” से होता है अनार…पहली बार चखा उसको,जब मैं हुआ रहा बीमार….गाँव-देश का मैं रहने वाला,पेड़ कभी ना देखा इसका….फल का भी….कभी-कभी ही…!हो पाया था मुझको…

तुष्टि दर्शन के कारण ही….!

भले प्रयास हो मन से पूरा…या फिर हो…आधा और अधूरा..इस जग में सभी चाहते…!मिल जाए उनको…पूरा का पूरा…पर शाश्वत नियम प्रकृति का है यहमिलता नहीं यहाँ किसी को….!कुछ भी…पूरा का…

ई ससुरी जाड़ा…..!

सुना रे भैया….!बहुतै पढ़ावै ले पहाड़ा…ई ससुरी जाड़ा…कफ़-पित्त-वायु तीनों के,कई देवै ले ई गाढ़ा….बैद-हकीम सब इलाज़ बतावै,पिया गरम-गरम तू देसी काढ़ा….सुबह-शाम खूब मेहनत कै ला,घर-दुआर मन से झाड़ा…आउर…दरवाजे पर बारा…

बस मुण्डन मोर करा दो मैया…..!

मैया देख तनिक तो मुझको…!कितनो बड़ो ह्वै गयो हूँ मैया….पर….करि-करि चोटी तुम तो…छोरी बनाय दई हो मैया…सखा सकारे हास करत हैं,कैसे चराऊँ मैं गैया….?कूल कालिंदी जो मैं जाऊँ,या जाऊँ कभी…