मुंबई। दुनिया एक नई सहस्राब्दी में प्रवेश कर चुकी है, लेकिन सभ्यता के उद्भव से लेकर आज तक, भारत के पितृसत्तात्मक समाज की महिला पर अत्याचार और दुर्व्यवहार जारी है। वह आश्रित है, कमजोर है, शोषित है और जीवन के हर क्षेत्र में लैंगिक भेदभाव का सामना करती है। लिंग आधारित हिंसा जो महिलाओं की भलाई, गरिमा और अधिकारों को खतरे में डालती है, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और क्षेत्रीय सीमाओं तक फैली हुई है। नई आज नारी अपने हक की लड़ाई लड़ रही है और कई क्षेत्रों में उन्होंने अपना परचम फहराया है। अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस पर महाराष्ट्र स्टेट ह्यूमन राइट्स कमीशन द्वारा सह्याद्री स्टेट गेस्ट हाउस में आयोजित कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ साहित्यकार तथा समाजसेवी डॉ मंजू मंगल प्रभात लोढ़ा ने उपरोक्त बातें कही। कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि के रूप में विधान परिषद सदस्य डॉक्टर नीलम गोरे, सम्मानित अतिथि के रूप में महाराष्ट्र ह्यूमन राइट्स कमीशन के अध्यक्ष न्यायमूर्ति के के तातेड़ मुंबई उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश साधना जाधव , सी कॉलेज की लॉ फैकल्टी की प्रिंसिपल कविता जी ,आई एस ऑफिसर प्रज्ञना समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम के आयोजक महाराष्ट्र ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन के सदस्य एम ए सईद और संजय कुमार रहे।

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