ठाणे। साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था भारतीय जनभाषा प्रचार समिति ठाणे के तत्वावधान में शनिवार को काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी भोपाल से पधारे प्रसिद्ध ग़ज़लकार किशन तिवारी की अध्यक्षता में आरंभ हुई विशेष अतिथि के रूप में नवी मुंबई से बेहतरीन गीतकार वंदना श्रीवास्तव और वसई-मुंबई से आए युवा कवि राजेश दुबे अल्हड़ असरदार थे।वरिष्ठ कवियों और ग़ज़लकारों में तिलकराज खुराना, आदरणीय अभिलाज,संगीत साहित्य मंच के संयोजक रामजीत गुप्त, त्रिलोचन सिंह अरोरा,रेखा किंगर रोशनी,शिल्पा सोनटक्के,अनीता रवी, डा.प्रभा शर्मा सागर, सत्यभामा सिंह, शिवकुमार सिंह,संस्था के अध्यक्ष -नंदलाल क्षितिज,कार्याध्यक्ष अनिल कुमार राही,रामस्वरूप साहू,आरती सैय्या,मदन गोपाल गुप्त,ऐड.अनिल कुमार शर्मा,वफ़ा सुल्तानपुरी,डॉ आनंदी सिंह रावत,ओमप्रकाश सिंह, डा. रामप्यारे सिंह ‘रघुवशी’, डा.शारदा प्रसाद दुबे ‘शरदचंद्र’ शरीक रहे। कार्यक्रम का सूत्रसंचालन संस्था के सचिव विनय कुमार सिंह ‘विनम्र’ ने बड़ी कुशलता के अंजाम दिया। कवियों से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के ऊपर रचनाएं लिखने के लिए आवाहन किया गया था। वरिष्ठ कवियों में अभिलाज,रामजीत गुप्त,क्षितिज,राही ने घोषित विषय पर बहुत सुंदर रचनाएं पढ़ीं लेकिन इन्हें पुरस्कार क्रम में नहीं रखा गया था। विषय से हटकर प्रभावित करने वाले रचनाकारों में
अनीता रवी, त्रिलोचन सिंह अरोरा, ऐड.अनिल कुमार शर्मा,वफा सुल्तानपुरी प्रमुख रहे।वंदना श्रीवास्तव की रचना, लय-स्वर,और प्रस्तुति बेजोड़ रही।समय के अभाव के कारण हम उन्हें अधिक नहीं सुन सके। अल्हड़ असरदार की रचनाएं देश के प्रति और ओज पुर्ण थी जो लोगों को काफी पसंद आयी।अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष किशन तिवारी की ग़ज़ल ने लोगों को अवाक कर दिया। तिवारी की ग़ज़ल के बारे में कहने के लिए मेरे पास शब्द कम पड़ रहे हैं।समय नहीं था फिर भी और सुनने के लिए उत्सुक थे। तिवारी ने अंत में शमा बांध दिया। पुरस्कार इस प्रकार रहा.प्रथम रामस्वरूप साहू,द्वितीय मदन गोपाल गुप्त,तृतीय श्रीमती सत्यभामा सिंह,तृतीय ओमप्रकाश सिंह रहे।
अंत में संस्था अध्यक्ष ने आभार ज्ञापित किया और राष्ट्रगीत के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

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