– शिवपूजन पांडे, वरिष्ठ पत्रकार
मुंबई। महानगर में रहने वाले लाखों उत्तर भारतीय मतदाताओं की ताकत का फैसला जीतने वाले उत्तर भारतीय प्रत्याशियों की संख्या पर निर्भर होगी। मुंबई के विभिन्न विधानसभाओं पर गौर करें तो कमोबेश सभी राजनीतिक दलों ने उत्तर भारतीय समाज के लोगों को अपना प्रत्याशी बनाया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मुंबई के उत्तर भारतीयों का संगठित वोट बड़ी ताकत बन सकता है। मुंबई में चुनाव लड़ रहे कम से कम 7 से 8 ऐसे उत्तर भारतीय प्रत्याशी हैं, जिन्हें उत्तर भारतीय मतदाताओं का एकमुश्त वोट मिला तो उन्हें विधायक बनने से कोई नहीं रोक सकता। परंतु इसके साथ यह भी सच है कि भारी संख्या में होने के बावजूद उत्तर भारतीय मतदाता संगठित नहीं रहा। जाति और धर्म इसमें बहुत बड़ी रुकावट रही। महाराष्ट्र में कांग्रेस के शासनकाल की बात करें तो उत्तर भारतीय मतदाताओं का उसे संगठित मत मिलता था। यही कारण था कि आज भी कांग्रेस शासन काल को उत्तर भारतीय नेताओं का स्वर्णिम काल कहा जाता है। उस दौर में उत्तर भारतीय नेताओं को सम्मान के साथ-साथ मंत्रिमंडल में भी जगह मिली। रामनाथ पांडे, रमेश दुबे, चंद्रकांत त्रिपाठी , कृपाशंकर सिंह जैसे अनेक उत्तर भारतीय नेताओं को पद के साथ-साथ बड़ा सम्मान भी मिला। क्षेत्रीय पार्टियों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ उत्तर भारतीय मतदाता भी अपनी अपनी जाति आधारित पार्टियों से जुड़ता चला गया। परिणाम स्वरूप संगठित उत्तर भारतीय समाज बिखरता चला गया। उत्तर भारतीय मतदाताओं के बिखराव के चलते उनके विधायकों की संख्या और उनके सम्मान दोनों में कमी आई। कांग्रेस सरकार में गृह राज्यमंत्री रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता कृपाशंकर सिंह के अनुसार जब तक कांग्रेस महाराष्ट्र के विकास की सोच के साथ रही, उत्तर भारतीयों ने उसका साथ दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन तथा देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास मूल मंत्र के साथ काम कर रही है। 1996 के बाद समग्र महाराष्ट्र के विकास की सोच के साथ जमीन से जुड़कर काम कर रहे देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ महायुति की सरकार बनाने जा रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर भारतीय मतदाता पूरी तरह से संगठित होकर भाजपा के पक्ष में मतदान करेंगे। भाजपा ने हमेशा उत्तर भारतीय समाज के हितों, संरक्षण तथा विकास की दिशा में काम किया है। उन्होंने कहा कि हमारी पूरी कोशिश है कि किसी भी कीमत पर उत्तर भारतीय मतों का बंटवारा न हो ताकि हमारी ताकत का अंदाजा लोगों को मिल सके।