मुंबई। श्री नारायण सेवा समिति, मुंबई द्वारा कांदिवली पूर्व स्थित डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मैदान, लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स, कांदिवली पूर्व मुंबई में 22दिसंबर 2024 से 28 दिसंबर 2024 तक 7 दिवसीय श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह श्री काशी धर्म पीठाधीश्वर अनंतश्री विभूषित शंकाराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ के सानिध्य में आयोजित किया गया है। कार्यक्रम हर दिन सायं 4 बजे से 8 बजे के बीच संपन्न होगा।
आज कार्यक्रम के पहले दिन कांदिवली पूर्व स्थित विश्वकर्मा मंदिर से यज्ञ स्थल तक विशाल कलस यात्रा निकाली गई। जिसमें 400 महिलाएं कलश लेकर कलश यात्रा में शामिल हुईं।
यज्ञ के पहले दिन भारी संख्या में उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए स्वामी जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता सनातन धर्म का एक पवित्र ग्रंथ और भगवान की वाणी है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए थे, वही गीता है। गीता में आत्मा, परमात्मा, भक्ति, कर्म, जीवन आदि का वृहद रूप से वर्णन किया गया है।
गीता से हमें यह ज्ञान मिलता है कि व्यक्ति को अपने काम और कर्म पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही कर्म करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम जो भी कर्म कर रहे हैं, कर्म के अनुसार उसका फल भी हमें निश्चित ही प्राप्त होगा।
गीता में बताया गया है कि जीवन क्या है, आत्मा और परमात्मा का मिलन कैसे होते है, अच्छे और बुरे की समझ क्यों जरूरी है। इन सभी गूढ़ सवालों से जवाब हमें गीता से प्राप्त होते हैं। स्वामी जी ने कहा कि सत्संग में शामिल होने से सभी ज्ञान हमें प्राप्त हो सकते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि गीता या फिर किसी भी पाठ से ज्ञान को प्राप्त करने के चार स्तर होते हैं-श्रवण या पठन ज्ञान, मनन ज्ञान, निदिध्यासन ज्ञान और अनुभव ज्ञान।
इन चारों स्तर से गुजरने के बाद ही किसी भी ज्ञान की पूर्णता होती है और इससे समुचित लाभ होता है। इसका अर्थ यह है कि आप पहले पढ़ते या सुनते हैं। इसके बाद पढ़े-सुने ज्ञान के बारे में चिंतन व मनन करते हैं। यदि वह आपको ठीक और उपयोगी लगती है तब उसका अभ्यास कर उसे अपने जीवन में उतारते हैं और आखिर में उस ज्ञान का प्रतिफल आपको मिलता है।
किसी भी ज्ञान को आप पढ़कर या सुनकर छोड़ देंगे, उसे अपनाएंगे नहीं तो उसका फल कैसे मिलेगा। यही बात गीता पर भी लागू होती है। जब हम गीता पढ़कर उसके उपदेशों को जीवन में उतारेंगे तो निश्चित ही सुपरिणाम सामने आएगा।
यज्ञ का आयोजन श्री नारायण सेवा समिति मुंबई द्वारा किया गया है । हरिश्चंद्र शुक्ला, ओमप्रकाश उमा यादव, एड जे डी सिंह, एड ओ पी सिंह, राज मणि मिश्रा, साहेब लाल मिश्रा आदि आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।
उक्त जानकारी काशीधर्म पीठ के प्रवक्ता प्रो दयानंद तिवारी ने दी है।