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श्रमजीवी एक्सप्रेस विस्फोट कांड में 2 आतंकियों को फांसी की सजा, 18 साल बाद पीड़ितों को मिला न्याय

जौनपुर: श्रमजीवी एक्सप्रेस बम ब्लास्ट कांड में जिला अदालत ने दो आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है. कोर्ट ने बांग्लादेशी आतंकी हिलालुद्दीन और पश्चिम बंगाल के रहने वाले नफीकुल विश्वास को दोषी पाते हुए 5-5 लाख का जुर्माना लगाया है. इस केस से जुड़े दो आंतकियों को दोषी पाए जाने पर पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है. बता दें कि, साल 2005 में श्रमजीवी एक्सप्रेस की जनरल बोगी में ब्लास्ट हुआ था जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी.

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 18 साल पहले हुए श्रमजीवी एक्सप्रेस ब्लास्टकांड से जुड़े दो आरोपियों को जिला अदालत ने दोषी पाए जाने पर बुधवार को फांसी की सजा सुनाई है. कोर्ट ने बांग्लादेशी आतंकी हिलालुद्दीन और पश्चिम बंगाल के रहने वाले नफीकुल विश्वास को दोषी पाते हुए 5-5 लाख का जुर्माना लगाया है. इसके पहले साल 2016 में कोर्ट द्वारा आतंकी ओबैदुररहमान और आलमगीर उर्फ़ रोनी को फाँसी की सजा सुनाई गयी थी. इस केस से जुड़े आरोपी याहिया को एनकाउंटर में मारा जा चुका है. जबकि आतंकी डॉ सईद का पता नहीं चला सका है. आतंकी शरीफ उर्फ़ कंचन फ़रार चल रहा है 

18 साल पहले पटना से दिल्ली जा रही श्रमजीवी एक्सप्रेस में बम ब्लास्ट की चौकाने वाली वजह थी. सूत्रों की मानें तो आतंकियों नें भारत को तबाह करने और जेहाद फ़ैलाने के लिए जगह-जगह ब्लास्ट करने की योजना बनाई थी.

दो आरोपियों को 2016 में ही मिल चुकी है फांसी की सजा

इस केस से जुड़े दो आंतकियों को दोषी पाए जाने पर पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है. आतंकी आलमगीर उर्फ़ रोनी को 30 जुलाई 2016 और ओब्दुर्रहमान को 31 अगस्त 2016 को अपर सत्र न्यायधीश प्रथम, जौनपुर बुद्धिराम यादव द्वारा फाँसी की सजा सुनाई जा चुकी है. दोनो आरोपियों ने सजा के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में अपील कर रखी है.

18 साल पहले जौनपुर में हुए श्रमजीवी एक्सप्रेस बम विस्फोट कांड में करीब 100 से अधिक तारीखें बीतने के बाद आरोपियों को सजा सुनाई गयी. इस केस में कुल 53 लोगों ने गवाही की जिसमें 13 निजी गवाह थे. साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर दोषी पाये जाने पर कोर्ट में आरोपियों को सजा सुनाई है.

पद्मा नदी पार करके भारत की सीमा में पहुंचे थे आतंकी

बांग्लादेश से आतंकी सीमावर्ती गांव बिसरौली से होते हुए पद्मा नदी को पार करके भारत की सीमा में दाखिल हुए थे. आतंकियों ने पश्चिम बंगाल निवासी नफीकुल विश्वास और उसके साथी से मुलाकात की थी.नफीकुल विश्वास और उसके साथी की मदद से सभी बंगलादेशी आतंकी पटना पहुंचे. पटना के खुसरूपुर स्टेशन के पास स्थित मियांटोला में हकीम मियां के घर पर आतंकियों ने ब्लास्ट करने का सामान एकत्रित किया था.

पटना से खरीदा गया बम बनाने का सामान

बांग्लादेशी आतंकियों ने पटना के मियांटोला पहुंचकर वहां से बम बनाने के लिए आरडीएक्स, अटैची, घड़ी, टाइमर, विस्फोटक व आतंक फ़ैलाने के लिए अन्य जरूरी सामान खरीदा था. इसके बाद दो आतंकी वापस बांग्लादेश चले गए.

श्रमजीवी एक्सप्रेस में बम रखने की इन्हें मिली थी जिम्मेदारी

पटना से आतंक का सामान ख़रीदने के बाद भारत को दहलाने के लिए आतंकियों नें पटना से दिल्ली जाने वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस को चुना. ट्रेन में विस्फोट करने के लिए आतंकियों को अलग अलग जिम्मेदारी मिली थी. इस कांड को अन्जाम देने में रोनी, नफीकुल विश्वास, हिलाल और शरीफ उर्फ़ कंचन पटना स्टेशन पहुंचे. आतंकियों ने पटना स्टेशन पहुंचकर पटना से दिल्ली जाने वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस में इंजन के पास दूसरी जनरल बोगी को चुना.

जौनपुर में हुआ था ब्लास्ट

28 जुलाई 2005 को जौनपुर के सिंगरामऊ थाना क्षेत्र के हरिहरपुर रेलवे स्टेशन के क्रासिंग पर पहुंचते ही शाम 5 बजकर 20 मिनट पर श्रमजीवी एक्सप्रेस की जनरल बोगी में ब्लास्ट हुआ था. ब्लास्ट के बाद अफरा-तफरी मच गई थी. हादसे में 14 यात्री मारे गए थे जिसमे 2 जौनपुर के रहने वाले थे, जबकि 62 यात्री घायल हुए थे.

ट्रेन में ब्लास्ट के बाद आरोपियों ने बम बनाने वाले स्थान को भी उड़ाया

श्रमजीवी एक्सप्रेस में बम ब्लास्ट करने के बाद आतंकियों नें सबूत मिटाने के लिए पटना के खुशरूपुर रेलवे स्टेशन के पास मियाटोला स्थित हमीद मियां के उस घर को भी ब्लास्ट करके उड़ा दिया था जहाँ पर सब सामान एकत्रित करके बम बनाया गया था. पटना में हुए ब्लास्ट के बाद फोरेंसिक जांच में जो विस्फोटक के अवशेष मिले थे वो श्रमजीवी एक्सप्रेस में विस्फोट से मिल रहे थे.

ट्रेन के गार्ड ने दर्ज कराया था केस

ट्रेन में हुए बम ब्लास्ट के बाद ट्रेन के गार्ड मो. जफर अली ने केस दर्ज कराया था. घटना के बाद पुलिस ने घायल यात्रियों की मदद से आरोपी का स्केच जारी किया था. यात्रियों द्वारा बताये गए हुलिये से बने स्केच के आधार पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आलमगीर उर्फ़ रोनी ने गिरफ्तार किया था.

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