महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीति में उत्तर भारतीय समाज पार्टी कार्यकार्ता के रूप में बड़ी सहभागिता कर रहे हैं, परन्तु उनको जो सम्मान पार्टी में मुख्य धारा में मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पा रहा है। विशेष कर भाजपा में तो स्पष्ट देखने में यही आ रहा है कि भीड़ एकत्रित करने के लिए मोर्चा की जिम्मेदारी तो दे दिया गया है ,परन्तु संगठन के मुख्य पदाधिकारी में सिर्फ प्रवक्ता तक समेट कर रख दिया गया है । आज महाराष्ट्र में भाजपा के लिए उत्तर भारतीय समाज वहीं भूमिका निभा रहा है जैसे कभी मराठी वोट बैंक शिवसेना को मजबूती प्रदान करता था लेकिन अफसोस है कि कांग्रेस को छोड़कर जमीन दिखाने वाला उत्तर भारतीय समाज आज भाजपा में मंच सजाने वाला बनकर रह गया है । जो समाज कांग्रेस में लोकसभा, विधानसभा, महानगरपालिका में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराता था और मंत्री से लेकर महापौर तक जिम्मेदारी निभाता था, उस समाज का कोई उम्मीदवार ना हो सका इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है? और यह तब है, जब जनसंख्या के साथ ही आर्थिक ताकत में भी वह अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है।चुनाव प्रभारी पूर्व उप मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश एवं वर्तमान राज्यसभा सांसद डॉ दिनेश शर्मा, उसी तरह से बरगलाने वाला बयान दे रहे हैं,जो पूर्ववर्ती राजनेताओं ने देकर अपने महत्व को बढ़ाते रहे हैं परन्तु वर्तमान परिस्थितियों के लिए वही जिम्मेदार है । प्रधामंत्री मोदी गुजरात से वाराणसी गए हैं। वाराणसी की जनता उनको अपनाकर दिल्ली भेज रही है, जबकि मुंबई में हमारी मजबूत उपस्थिति को भी अनदेखा किया जा रहा है । संजय उपाध्याय, जिनको राज्यसभा के चुनाव के समय मोहरे के तरह उपयोग किया गया, उनको भी संज्ञान में ना लेना प्रेम शुक्ला,रमेश सिंह ठाकुर,जय प्रकाश ठाकुर, राजहंस सिंह, कमलेश यादव इत्यादि नेता को अनदेखा करके मिहिर कोटेचा को उम्मीदवार बनाना, यह साबित करने के लिए पर्याप्त है । उत्तर मध्य मुंबई ,उत्तर पश्चिम मुंबई, उत्तर मुंबई, उत्तर पूर्व मुंबई, थाणे, कल्याण, पालघर, भीवंडी,रायगढ़ ऐसी सीट है ,जहां उत्तर भारतीय निर्णायक वोट बैंक की तरह है फिर भी उनको अनदेखा किया गया है ,जिस पर समाज में स्पष्ट नाराजगी देखी जा रही है । हम सिर्फ वोट बैंक नहीं है ,यह राजनीतिक पार्टियों को समझने की जरूरत है और इतने बड़े वोट बैंक की जिम्मेदारी सिर्फ कुछ पार्टी के राजनेता नहीं ले सकते हैं, क्योंकि यह समाज अलग अलग समाजिक संगठन के माध्यम से मजबूती से निर्णय लेने में समर्थ है ।
(लेखक ठाकुर आर पी सिंह दुर्गवंश, राष्ट्रीय अध्यक्ष,अखंड राजपूताना सेवासंघ )

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