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बातें करो ना 

कुछ सच्ची कुछ अच्छी

कुछ प्यारी कुछ न्यारी 

बातें करो ना ।

बहुत तन्हाई है  

रात बहुत उदासी लायी है 

कुछ अपनी कहो कुछ मेरी सुनो ना 

बातें करो ना।

सदियाँ बीती तुमसे मिले हुए 

हर एक पल में हज़ारों साल मिले हुए 

तुम ख्वाबों में आकर ही मिलो ना 

बातें करो ना।

आवाज में दरारे हैं

सुनाई कुछ नहीं देता बस इशारे हैं 

कभी  तुम भी मेरे इशारे समझो ना 

बातें करो ना ।

रूह से निकल कर रूह तक जाती हैं 

इक आस है हवा में बहती है

ज़ुदा सिर्फ जिस्म है आवाज रूह की सुनो ना 

बातें करो ना।

तेरी आवाज से रवानी है 

बिन तेरे मेरी हालत दीवानी है 

आगोश में तेरे रहूं हमेशा कैसे समझो ना 

बातें करो ना ।

दिल की बातें करो ना 

दिल से बातें करो ना 

लफ्जों के आगे भी समझो ना 

बातें करो ना ।

–कर्नल राजेश कुमार लंगेह, छत्तीसगढ़ 

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