मुंबई। मन से मंच तक अन्तर्राष्ट्रीय महिला मंच के संस्थापक कविवर नरेश नाज़ की उपस्थिति में बेबीनार काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। महाराष्ट्र मकाम की संरक्षिका डॉ मंजु मंगलप्रभात लोढ़ा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख लोगों में महाराष्ट्र महासचिव अन्नपूर्णा गुप्ता, महाराष्ट्र अध्यक्षा डॉ अलका अग्रवाल सिगतिया, दक्षिण मुंबई अध्यक्षा सुनीता मंडेलिया ,पश्चिम मुम्बई अध्यक्षा डॉ शैलेश श्रीवास्तव, सेन्ट्रल मुम्बई मकाम अध्यक्षा सत्यभामा सिंह ,सेन्ट्रल मुम्बई मकाम उपाध्यक्षा रागिनी प्रसाद ,नवी मुंबई अध्यक्षा बिट्टू जैन, नवी मुंबई उपाध्यक्षा सीमा त्रिवेदी का समावेश रहा। काव्य गोष्ठी का संचालन सेन्ट्रल मुम्बई मकाम की अध्यक्षा सत्यभामा ने बड़े ही रोचक ढंग से किया। काव्य गोष्ठी का विषय वर्षा भी मौसम अनुरुप रहा। सीमा त्रिवेदी जी की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम की शुरुआत की।उसके बाद क्रमशः सभी रचनाकारों की अद्भुत प्रस्तुति और सभी का हरा परिधान मंच पर भी शब्दों के फुहार बरसाये । शर्मिला चौहान की माहिया …बादल मस्ताना है ,ने तो सभी को मस्त कर दिया और इसी बीच सत्यभामा जी का सभी रचनाकारों के लिए रंगीन शायरी ने सभी को उर्जावान बनाए रखा । रागिनी की कविता सावन तू सोचकर बरस ,कामिनी का भक्ति रस , जियरा हुआ दीवाना सावन में ओ कन्हैया ,,, वृन्दावन का साक्षात्कार करा दिया । सीमा त्रिवेदी के शब्दों ने जताया सावन है तो श्रृंगार है श्रृंगार है तो प्रेम है । आभा गोयनका ने अपनी रचना से , देखों घिर आये बादल को दर्शाया , सत्यवती मौर्या ने शब्दों से मोर पपीहा की शहनाई सुनाई,अनिता विजयवर्गीय ने मधुर स्वर में मेरे शहर बारिश आ गई की स्वीकृति दी। कनकलता ने चारों ओर हंसी हरियाली आसमान में बदली काली , बारिश का वर्णन किया। सुमित्रा गुप्ता ने कुछ अलग हटकर वृक्षारोपण के उद्देश्य पूर्ण कविता को अंजाम दिया। विजय अग्रवाल ने सावन के कजरी में ननद भाभी की नोक झोंक से मंच पर थिरकने का माहौल बना दिया । रंजु राय ने कजरी अरे रामा रिमझिम की प्रस्तुति के अन्तर्गत ही सभी सखियों की रचना की प्रशंसा की। मुदिताअग्रवाल ने बर्षा के जल को अमृत से तुलना किया ….जो सच है ।भगवती मित्तल ने यादों के झरोखों से सावन को निहारा ,ईसा सिंह बादल गरजो फिर बरसों…..।
सुमंगला सुमन ने पिया की बांहों में बरसात का अनुभव सुनाया । सत्यभामा ने अपनी रचना से सभी सखियों को झरनें में नहाना की अनुभूति प्रदान की ।मंच संचालिका के निमंत्रण पर अध्यक्षा डॉ मंजु लोढ़ा ने अपनी प्रस्तुति दी एवं कार्यक्रम के सभी प्रतिभागियों की रचना को सराहते हुए हौसला-अफजाई किया। मंच संस्थापक नाज़ सर ने ज़िन्दगी ज्यादा परेशान ना कर,वर्ना मैं तुझसे रुठ जाऊंगा।कार्यक्रम अध्यक्षा मंजु लोढ़ा ने कार्यक्रम का समापन करते हुए सूत्रधार तथा रचनाकारों का आभार व्यक्त किया तथा नसीहत दी कि मैं को अभिमान में ना बदलने दें और जय हिन्द जय भारत की उद्घोषणा से काव्य गोष्ठी का समापन किया।

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