Category: साहित्य

नदी गोमती और कैथी…..!

नदी गोमती क्यों कैथी आई,क्यों आकर वह गंग समाई…?ना कहीं पढ़ा अभी तक,ना कुछ सुना…अभी तक भाई…ऋषि वशिष्ठ की यह बेटी …थक सी गई होगी शायद,लोगों के धोते-धोते पाप…!ढूँढ़ रही…

तुम शक्ति हो

डॉ. वागीश सारस्वत मैं जानता हूँ शक्ति हो तुमतुम ही दुर्गा होकात्यानी भी तुमशक्ति के जितने भी स्वरूप हैं सब मौजूद हैं तुम्हारे भीतरतुम देवी की आराधना में लीन होतुम…

मैं परेशान हूँ…..!

जब उसने कहा…मैं परेशान हूँ….कुल मिलाकर तीन शब्द…!झकझोर दिया…मेरे अंतर्मन को…आत्मीय भाव से….निर्विकार…बोले गए इन तीन शब्दों ने…कुछ तो अपना समझा होगा…तभी तो…उसे मिला होगा बल…किसी से यह कहने का…

‘गाँव और शहर का अंतर

किशोर कुमार कौशल गाँव के एक छोटे बच्चों नेअपने बाबा से पूछा-बाबा,गांँव और शहर में क्या अंतर है?बाबा बोले-बेटा,तुम्हारा प्रश्न है बड़ा टेढ़ाफिर भी बताता हूँ-जहांँ बड़े सवेरे चिड़ियाँ चहचहाती…

केहि कारन प्रभु ने…….?

रूप-रंग संग यौवन दीन्हा,काया दीन्ही अति सूघरी…नारी की सब माया दीन्ही,जनम दीन्ही सुन्दर नगरी…माँ-बापू संग दादा-दादी,सब की रही मैं दुलरी…गुड्डे-गुड़ियों संग बचपन बीता,यौवन में मैं खूब सजी-सँवरी…सावन में नित झूला…

कविता : कृष्णा तुम बंसी क्यूँ नहीं बजाते …

कृष्णा तुम बंसी क्यूँ नहीं बजाते सदियाँ हुई कोई धुन क्यूँ नहीं सुनाते कब से प्यासी है यह मरुधरा प्रेम की रसधार क्यूँ नहीं बरसातेकृष्णा तुम बंसी क्यूँ नहीं बजाते…

शिक्षक दिवस पर विशेष कविता: एकलव्य का अंगूठा

ग़लती तुम्हारी नहीं थी एकलव्यजो काट दिया अंगूठा द्रोणाचार्य के मांगने परतुम जानते थे सत्य के हिमायती नहीं हैं द्रोणाचार्यफिर भी काट दिया था अंगूठा गुरुदक्षिणा के नाम पर वक्त…

कविता : उस्ताद मिला मुझे

उस्ताद मिला मुझे खुदा दिला दियाकंकड़ को हीरा बना दियाजमीन से उठाकर अर्श पर बिठा दियाख़ाकसार था मैं अदना सा शख्सउसकी नज़रे करम ने आफताब बना दियाउस्ताद मिला मुझे खुदा…