कुम्हार अलग कुछ गढ़ने वाला..
ढूढ़ता हूं मैं आजकल….!बिन मतलब के,झूठ-सच बकने वाला…नमक-मिर्च लगाकर,बल-बल बातें कहने वाला,अलबेला… वाचाल… बड़बोला….सच कहूँ तो…!नाना के आगे ही नानी के,गुणगान-बखान करने वाला…नकलची… बातूनी… मुँह बोला….कुछ किस्सा-कहनी कहने वाला,चुलबुली सी…