युवाओं को मिलेगी देशभक्ति की प्रेरणा – कृपाशंकर
जौनपुर । राजपूत सेवा समिति द्वारा कलीचाबाद तिराहे पर स्थित पार्क में बीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की स्थापित होने वाली वाली गन मेटल की भब्य मूर्ति के लिए मंगलवार को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भूमि पूजन किया गया। लोगो ने उनके जीवन गाथा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके त्याग, बलिदान और राष्ट्र प्रेम को युवाओ को अपने जीवन में उतारना चाहिए। समिति के सदस्यों ने बताया कि पार्क में स्थापित होने वाली गन मेटल की भब्य मूर्ति की कुल ऊचाई जमीन से 19 फिट होगी। छह फिट के चबूतरा पर तेरह फिट की ऊँची मूर्ति स्थापित की जाएगी। गन मेटल की मूर्ति की लागत लगभग चालीस लाख रुपया बताया जा रहा है। राजस्थान के जयपुर धूप संगमरमर प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी के प्रसिद्ध कलाकारो द्वारा बनाई जा रही महाराणा प्रताप की भब्य मूर्ति का चबूतरा मकराना के प्रसिद्ध मारवल पत्थर व दक्षिण भारत का काला ग्रेनाइट का रहेगा। दिन में दस बजे से ही सिविल इंजिनियर जनार्दन श्रीवास्तव की टीम ने स्थान का चयन किया। एक घंटे बाद समिति के सदस्यों द्वारा चयनित स्थान पर विधि विधान से पूजन अर्चन कराया गया। विद्वान ब्राह्मण ओम प्रकाश शुक्ल ने मंत्रोच्चारण किया। ओम प्रकाश सिंह ने फावड़ा से मिट्टी की खुदाई कर भूमि पूजन की शुरुआत किया।
इस अवसर पर साघन सहकारी बैंक के चेयरमैन पूर्व मंत्री कुंवर वीरेंद्र प्रताप सिंह, डा. दिनेश सिंह बब्बू, डा. एन. के. सिंह, अधिवक्ता वीरेंद्र प्रताप सिंह, जौनपुर पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष शशिमोहन सिंह क्षेम, रत्नाकर सिंह, पूर्व प्रमुख ओम प्रकाश सिंह, अजीत सिंह, रवीन्द्र प्रताप सिंह, शशि सिंह, डा. नबाब सिंह, सिद्धार्थ सिंह, अमर बहादुर सिंह बच्चा, प्रदीप सिंह सफायर, सर्वेश सिंह, डा. राकेश सिंह ल, डा. इंद्र सिंह, डा. संजय सिंह, डा. विकास सिंह, मुन्ना सिंह, संजय सिंह विसेन, वेद प्रकाश सिंह, राघवेन्द्र सिंह, रजनीश सिंह, धर्मेंद्र सिंह, मुन्ना सिंह, सौरभ सिंह, घनश्याम सिंह, विनोद सिंह, चेतन सिंह सहित भारी संख्या में सदस्य मौजूद रहे। जौनपुर में महाराणा प्रताप की मूर्ति स्थापित करने का स्वागत करते हुए महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता कृपाशंकर सिंह ने कहा कि मेवाड़ के महान राजपूत नरेश महाराणा प्रताप अपने पराक्रम और शौर्य के लिए पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर जाने जाते हैं। एक ऐसा राजपूत सम्राट जिसने जंगलों में रहना पसंद किया लेकिन कभी विदेशी मुगलों की दासता स्वीकार नहीं की। उन्होंने देश, धर्म और स्वाधीनता के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया। उनकी मूर्ति स्थापित होने से लोगों को राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा मिलेगी।