जौनपुर ।साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था कोशिश की काव्य-गोष्ठी बाबू रामेश्वर प्रसाद सिंह सभागार में ख्यात शायर प्रो पी सी विश्वकर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुई। माँ वीणा वादिनी की वंदना के बाद निडर जौनपुरी ने अपने गीत और गजलों से गोष्ठी को नयी ऊंचाई प्रदान किया। उनका शेर—आखिर कैसे मरे परिंदे आज कबूतरखाने में/कोई न कोई रखा होगा जहर मिलाकर दाने में/समाज मे विश्वास के संकट पर प्रहार कर गया। गिरीश जी का मुक्तक–सुख-शांति की कमी नहीं,संतोष नहीं है/दुनिया में दुखी है,तो दुखी है बस आदमी/मानव जीवन का सटीक आकलन कर गया। व्यंग्यकार प्रखर जी ने अपनी रचना में कवि-जीवन का चित्र खींचा—संघर्षों के बीच सदा कवि निर्धनता में पलता/ख्यात शायर अहमद निसार का शेर–कभी गिरिये व संभलिये यही बेहतर होगा/रास्ता देखकर चलिए,यही बेहतर होगा/खूब पसंद किया।जनार्दन अष्ठाना का गीत–आंसू की होगी बरसात नहीं होगे तुम/अब दीवाली पर साथ नहीं होगे तुम। वियोग जन्य पीड़ा का मर्म उकेर गया। प्रो.आर. एन.सिंह का शेर–आज कोई बन सके नासूर इसके पूर्व ही,हो उचित जैसा भी हो,उपचार होना चाहिए। सामाजिक विसंगति पर चोट कर गया। गोष्ठी में अंसार जौनपुरी,रामजीत मिश्र डाक्टर संजय सिंह सागर,आसिफ फरूखाबादी,राजेश पांडेय,फूलचंद भारती.श्रीमती दमयंती सिंह. कमलेश जी सुरेंद्र यादव,मोनिस जौनपुरी.कारी जिया,ओ.पी.खरे ने अपनी रचनाओं से गोष्ठी में चार चाँद लगा दिया। इस अवसर पर रामजीत मिश्र के काव्य संग्रह का विमोचन हुआ। गोष्ठी का संचालन अशोक मिश्र ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डाक्टर श्रीमती विमला सिंह ने किया।

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