नरेंद्र मेहता की 60,433 मतों से शानदार जीत
भायंदर । मीरा भायंदर विधानसभा मे भाजपा कमल खिलाने मे सफल रही. पिछली बार निर्दलीय उम्मीदवार गीता जैन से हारने के बावजूद इस बार पार्टी ने फिर से नरेंद्र मेहता पर दाँव लगाया था, जो सटीक साबित हुआ. मेहता ने इस बार ना सिर्फ एक लाख से ज्यादा मतों का आकड़ा पार किया बल्कि अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के मुज़्ज़फर हुसैन को रिकॉर्ड 60,433वोटो से मात दी. नरेंद्र मेहता को कुल 1,44,376 लोगो का समर्थन मिला तो मुज़्ज़फर हुसैन 83,943 वोटो के साथ दूसरे स्थान पर रहे. वही पूर्व विधायक और एक बार फिर निर्दलीय के तौर पर मैदान मे उतरी गीता जैन को मात्र 23,051मतों से संतोष करना पड़ा और अन्य निर्दलियो की तरह वो भी अपनी ज़मानत नहीं बचा पायी.इस चुनाव मे भाजपा के विधानसभा प्रमुख एड. रवि व्यास किंगमेकर साबित हुए और संघठन सर्वोपरि एवं सिर्फ कमल निशान को जिताने की उनकी भूमिका कारगर साबित हुई. गौरतलब है की जब पार्टी ने नरेंद्र मेहता के नाम का ऐलान किया तो उनके समर्थकों मे एक मायूसी दिखाई पड़ी और कुछ लोगो ने बगावत का रुख भी अपना लिया. उन्होंने अपने समर्थकों को समझाया और व्यक्ति नहीं पार्टी आदेश और कमल के लिए काम करने को तैयार किया. यहाँ तक की प्रचार के पहले दिन से ही रवि व्यास, नरेंद्र मेहता के साथ सभी रैली और मंच पर नज़र आये. साथ ही अपने समर्थकों और नरेंद्र मेहता की टीम के साथ समन्वय स्थापित कर घर घर तक कमल का प्रचार किया. भायंदर पश्चिम, भायंदर पूर्व और मीरा रोड़ के जिन इलाको मे पिछली बार गीता जैन ने बढ़त हासिल की थी उन जगहों पर डोर टो डोर प्रचार अभियान के जरिये पकड़ मज़बूत की. मीरा भायंदर वैसे तो भाजपा का गढ़ रहा है लेकिन यहाँ चल रही आपसी खींचतान पार्टी के लिए सिरदर्द साबित हो रही थी ऐसे मे पार्टी भावना और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के आदेशानुसार रवि व्यास ने सभी को एकजुट कर प्रत्याशी और कमल निशान को प्रथमिकता दी जिसका नतीजा रहा की नरेंद्र मेहता को इतने बड़े अंतर से जीत मिली. असली भाजपा, नकली भाजपा एवं असली हिंदुत्व और नकली हिंदुत्व के इर्द गिर्द चले इस चुनाव मे रवि व्यास ने संघठन और कमल इन दो ही मुद्दों पर और सिर्फ विकास के नारे के साथ जिस तरह से पार्टी प्रत्याशी के लिए काम किया उससे ये जीत और आसान हो गयी.और इसलिए उन्हें मेहता की जीत का शिल्पकार और किंगमेकर कहा जा रहा है. बहरहाल गीता जैन की सभाओ मे उमड़ रही भीड़ ने जो माहौल बनाया गया था वो वोटो मे तब्दील नहीं हो पाया और उन्हें करारी हार का सामाना करना पड़ा तो वही मुज़्ज़फर हुसैन पिछली बार के मुकाबले करीब 26 हज़ार वोट ज्यादा जुटाकर थोड़ी बहुत टक्कर देते जरूर नज़र आये लेकिन आखिरकार जीत का सेहरा नरेंद्र मेहता के सिर सजा और वो अच्छी मार्ज़ीन के साथ दूसरी बार विधायक बनने मे सफल हुए.