अक्सर ही लोग कहते हैं…!
तेजी से समाज बदल रहा है,
रिश्ते बदल रहे हैं,
विकास हो रहा है….
ऐसे में हमारा भी फर्ज है….!
देखें तो….घर-परिवार-समाज में….
क्या-क्या परिवर्तन…?
हो रहा दर्ज है…
पहले तो…लोग कहते थे….
बाप का जूता….बाप की कमीज…
जिस दिन बेटा साध ले….
उसी दिन से आप….!
अपने बुढ़ापे की आमद मान लें….
मित्रों मानक तो….!
यही आज भी लागू है….
भले ही बाप की नज़र में….
बच्चा आज भी बाबू है….
परिवर्तन के इस परिवेश में….!
मेरी नसीहत है प्यारे….
आप बच्चों की शरीर के….
रोम-रोम का बदलता रंग देखो…
उनके चाल-चलन और ढंग देखो,
सोशल मीडिया पर सक्रियता देखो..
जाँचों-परखो उनके प्रेम-प्रसंग….!
देखो उनकी बात-बात पर झल्लाहट,
अचानक….किसी फोन पर…!
उनकी मौन सी मुस्कुराहट…
अगर इन पर…परिणाम पॉजिटिव हों
इसे ही समझ लो प्यारे….!
आप अपने बुढ़ापे की आहट
ऐसे में आप…मेरी नेक सलाह मानिए
जल्दी से अपनी गुर्राहट भूल जाइए,
लाइफ-पार्टनर से प्रेम और बढ़ाइए
प्यारे लाडलों को अपने…!
अब और दाना…मत चुगाइये…
पेट उनका भरा है बस इतना जानिए,
यह मान लीजिए कि आपकी संतति
फुर्र होने की फिराक में है…
और…आप नाहक ही..…
दुनितावी दान दहेज की ताक़ में हैं
इस परिवर्तन को मित्रों…!
आप मन से स्वीकार कीजिए….
उदास कत्तई मत होइए,
बच्चों के…सभी सपने सच हों…
बस ईश्वर से यही मनाइये…और..
घर के कोने में लगे बागीचे से…
खुद की नजदीकियाँ….और बढाइये
खुद के इरादे बुलन्द कर…
बागीचे में यार-मित्रों के लिए भी…
चार कुर्सियाँ और बढ़ाइए….
बागीचे में यार-मित्रों के लिए भी…
चार कुर्सियाँ और बढ़ाइए….

रचनाकार….
जितेन्द्र कुमार दुबे
अपर पुलिस उपायुक्त, लखनऊ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *