–डॉ मंजू मंगल प्रभात लोढ़ा

आओ लगा ले होली के रंग,
टेसु में खिले प्यार के संग,
पलास की सोंधी सोंधी सुवास में,
झरते हरसिंगार के निर्झर में,
डूबे हम भी होली के इंद्रधनुषी रंगो में,
होली के रंग में तन मन को भिगोना है,
इंद्रधनुषी सपनों को सजाना हैं,
लगा लो देशभक्ति का रंग,
लगा लो मानवता का रंग,
प्यार, स्नेह, ममता का रंग,
परोपकार, प्यार, सेवा का रंग,
लगा लो वृद्धों के सम्मान का रंग,
माता-पिता के आदर का रंग,
गुरूजनों के श्रद्धा का रंग।
लगा लो मधुर वाणी का रंग,
सद्भभावनाओं का रंग,
दीन दुखियों की मित्रता का रंग,
लगा लो दोस्ती का सच्चा रंग,
अपनेपन का रंग।
सत्य ईमानदारी का रंग,
लगा लो साहस शूरवीरता का रंग,
संयम, अनुशासन, सद्बुद्धी, विवेक का रंग।
ईश्वर के प्रति भक्ति का अनुठा रंग,
लगा लो अटल देशप्रेम का रंग
निष्ठावान जीवन का रंग,
शुध्द चरित्र का रंग।
लगा लो वृक्ष लगाने का रंग,
उपवन को हरा भरा बनाने का रंग,
फूलो की महकती महक का रंग,
बचकर मत रहना,
लगा लो रंग होली में,
इन नये रंगों से जीवन को
रंगमय बना लो, कटुता अनबन राग द्वेष के भावों को भुलाकर
इतिहास बना दो, अनूठा होली का त्यौहार मना लो।

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